JAMUI HUNT / News Desk ( अभिषेक कुमार झा) ]
शिक्षा के क्षेत्र में अपने कामयाबी की इबारत लिखने वालों की फेहरिस्त में शुमार झाझा (Jhajha) के पुरानी बाजार निवासी रुक्मिणी दीदी (Ruckmini Jha) का नाम नारी शिक्षा उत्प्रेरक वाहक के रूप में उभर रहा है।
दरअसल, बिहार की संस्कृति और भाषाओं की जननी कही जाने वाले ‘संस्कृत’ की कम होती महत्वता को देखते हुए रुक्मिणी अपने ही आवास पर नई पीढ़ी को गीत संगीत के माध्यम से संस्कृत की तालीम दे रही है। इसके साथ ही भारतीय संकृति और सभ्यता का भी बीज बोया जा रहा है। इससे ग्रामीण इलाके के बच्चों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि जग रही है। इनमे से अधिकांश निशुल्क शिक्षा पा रहे हैं। फलतः रुक्मिणी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में जलाए गए इस शैक्षणिक ज्योति से आज कई गरीबों के आशियाने शिक्षा से जगमगा रहे हैं।
[ पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री की हो अपनी पहचान : रुक्मिणी ]
तकरीबन दो दर्जन गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दानकर उन्हें पठन-पाठन सामग्री मुहैया कराने वाली रुक्मिणी का मानना है कि भाषाओं का उदय और देश की संस्कृति को जानने-समझने के लिए बच्चों में संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है । JAMUI HUNT से बात करते हुए महिला सशक्तिकरण के तर्ज पर रुक्मिणी बताती हैं कि, जिस दिन महिलाओं ने महिलाओं को समझना, उनकी सराहना करना और आगे बढ़ने को हिम्मत देने की शुरूआत कर दी, उसी दिन से पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री अपनी पहचान स्थापित करने में कामयाब हो जाएंगी।
[ रुक्मिणी के नाम हैं कई पुरस्कार, महिला सशक्तिकरण को भी मिल रहा बल ]
यूं तो संस्कृत’ भाषा के उन्नयन व इसको बढ़ावा देने वाली रुक्मिणी के नाम कई पुरस्कार हैं, पर इनमे से दो पुरुस्कार ने इन्हे समाज में विशेष पहचान दी। नियमित शिक्षा के साथ रुक्मिणी दीदी विगत दो दशकों से संस्कृत भाषा के अस्तित्व को संजोते हुए इलाके भर में महिला सशक्तिकरण की नाजिर भी पेश कर रही है। शिक्षा के प्रति इनके समर्पण और संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए रुक्मिणी दीदी को बिहार के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास वैभव (IPS Vikas Vaibhav) द्वारा ‘ गार्गी एक्सेलेन्स अवॉर्ड ‘ (Gargi Award) तथा जमुई हण्ट द्वारा रत्नम् (Ratnam) अवॉर्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।